चिकित्सा छतिपूर्ति में भ्रष्टाचार की खबर से तिलमिलाए लिपिक ने फेंका पीड़ित के बेटे का फोन
नगर पालिका लखीमपुर में भ्रष्टाचार
मेडिकल रीइंबर्समेंट के पटल के बाबू यतेंद्र बहादुर पर लगे हैं सुविधा शुल्क मांगने व दस्तावेजों में हेर फेर के आरोप
देवनन्दन श्रीवास्तव
लखीमपुर खीरी। नगर पालिका लखीमपुर में कार्यरत लिपिक भ्रष्टाचार की सीमाओं को पार कर चुके हैं। उन्हें अब किसी भी बात का डर नहीं है, ना ही मुख्यमंत्री के आदेशों की अवहेलना की चिंता। शायद यही कारण है कि नगर पालिका से ही रिटायर हुई महिला के मेडिकल रीइंबर्समेंट (चिकित्सा छतिपूर्ति) में सुविधा शुल्क और भ्रष्टाचार की खबर जब एक समाचार पत्र पोर्टल द्वारा प्रमुखता से प्रकाशित की गई तो पटल से संबंधित लिपिक आग बबूला हो गया। शुक्रवार की दोपहर जब वृद्ध पीड़िता का बेटा अभिषेक जौहरी पटल के लिपिक यतेंद्र बहादुर से मिलने पहुंचा और उनकी बात फोन पर किसी से करानी चाही तो यतेंद्र बहादुर आग बबूला हो गए और उन्होंने अभिषेक जौहरी के फोन को फेंक दिया और वृद्ध पीड़िता के बेटे से अपशब्द कहकर वहां से भगा दिया।
आपको बता दें कि पूरा मामला नगर पालिका परिषद लखीमपुर खीरी में व्याप्त भ्रष्टाचार और लापरवाही का से जुड़ा है। नगर पालिका में रिकॉर्ड कीपर के पद पर कार्यरत और वर्ष 2019 में सेवानिवृत्त हुई किरण बाला जौहरी को अपने चिकित्सा छतपूर्ति के लिए विभागीय अनदेखी और भ्रष्टाचार का शिकार होना पड़ रहा है।
जानकारी के अनुसार, कुछ समय पूर्व किरण बाला जौहरी का हाथ टूट गया था, जिसके चलते उन्हें सर्जरी करानी पड़ी। इलाज के बाद उन्होंने अस्पताल के बिल और अन्य आवश्यक दस्तावेजों के साथ रीइंबर्समेंट की फाइल नगर पालिका कार्यालय में जमा की। नियमों की बात करें तो 1 से 2 सप्ताह में में यह प्रक्रिया पूरी होनी चाहिए थी, लेकिन फाइल कई हफ्तों तक लंबित पड़ी रही।
इस घटना ने रिटायर्ड कर्मचारियों के साथ होने वाले व्यवहार और नगर पालिका में व्याप्त अव्यवस्था को उजागर कर दिया है। किरण बाला के पुत्र अभिषेक जौहरी ने बताया कि उन्होंने मामले को मुख्यमंत्री जनसुनवाई पोर्टल पर दर्ज करा दी है और जिलाधिकारी कार्यालय में भी लिखित शिकायत देने की तैयारी कर रहे हैं।
बुजुर्ग महिला रिटायर्ड कर्मचारी अपने हक के पैसे के लिए दर-दर भटकने को मजबूर
अभिषेक जौहरी ने कहा, “मेरी मां 2019 में ईमानदारी से सेवा करके रिटायर हुईं। आज जब उन्हें इलाज के खर्च की वापसी की जरूरत है, तो विभाग के कर्मचारी ही उनका शोषण कर रहे हैं। फाइल से बिल निकाल देना और जानबूझकर देरी करना बहुत गंभीर मामला है। यह साफ दर्शाता है कि विभाग में व्यवस्था पूरी तरह भ्रष्टाचार की गिरफ्त में है।”
मुख्यमंत्री के आदेश को नहीं मानते नगर पालिका के लिपिक (बाबू)
आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बुजुर्ग और रिटायर्ड कर्मचारी के साथ होने वाले विभागीय दुर्व्यवहार और भ्रष्टाचार पर बेहद गंभीर है। इसे लेकर वह कठोर नियम भी बना चुके हैं और अधीनस्थ अधिकारियों को हिदायत भी दे चुके हैं, परंतु उसके बावजूद कुछ ऐसे लिपिक संवर्ग के कर्मचारी हैं जो अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे। ऐसे में इन पर कठोर कार्रवाई होनी चाहिए और इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच भी होनी चाहिए।
क्या बोला पटल लिपिक
इस मामले में चिकित्सा छतिपूर्ति के पटल के लिपिक यतेंद्र बहादुर से जब पीड़िता के बेटे अभिषेक जोहरी ने अपने फोन से पत्रकार की बात कराई तो उन्होंने कहा कि यह विभागीय सरकारी काम है। एक फाइल भेज दी गई है। एक फाइल दोबारा भेज दी जाएगी, जब अधिकारी साइन नहीं कर रहे तो वह क्या कर सकते हैं। वह किसी के कहने से काम नहीं करते और उसके बाद उन्होंने फोन को जमीन पर पटक दिया। साथ ही अभिषेक जोहरी से अभद्रता करते हुए उन्होंने वहां से भगा दिया।
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