ट्रेजरी में परवान चढ़ रहा भ्रष्टाचार, सरकारी रिटायर्ड कर्मचारी और उनके आश्रित हो रहे परेशान

ट्रेजरी में परवान चढ़ रहा भ्रष्टाचार, सरकारी रिटायर्ड कर्मचारी और उनके आश्रित हो रहे परेशान

देवनन्दन श्रीवास्तव
लखीमपुर खीरी। भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने की सरकार की कोशिशें ट्रेजरी ऑफिस में नाकाफी साबित हो रही हैं। यही कारण है इस भ्रष्टाचार की भेंट तमाम सरकारी रिटायर्ड कर्मचारी और सरकारी मृतक आश्रित परिवारीजनों को इसका सामना करना पड़ रहा है और इसके चलते भारी मुसीबतों का भी सामना करना पड़ रहा है।

 हम आपको बता दें कि यहां काम करवाने का सबसे अच्छा तरीका सुविधा शुल्क है जो दे देगा उसका काम प्राथमिकता पर होगा और जो नहीं देगा उसमें आपत्ति होगी। अगर सिर्फ पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान मेडिकल रीइंबर्समेंट के बिलों पर लगी आपत्ति और उनके निस्तारण पर नजर डाली जाए एक बहुत बड़ा भ्रष्टाचार सामने आएगा।

हमने जो भी आरोप लगाए हैं उन्हें देखकर आपको ऐसा लग रहा होगा कि यह आरोप तो निराधार है इनका कोई प्रमाण नहीं है तो आप बिल्कुल गलत है हमारे द्वारा लगाए गए आरोपों की सत्यता जानने के लिए आपको सिर्फ एक बार ट्रेजरी ऑफिस के चक्कर लगाना होगा।

आप अपना कोई भी काम लेकर जाइएगा और फिर देखिए यहां क्या होता है! मेडिकल रीइंबर्समेंट में होने वाले खेल की कुछ परतें आज हम यहां पर खोलेंगे।

हम आपको बता दें कि मेडिकल रिम्बर्समेंट आखिर है क्या! 

दरअसल सरकारी कर्मचारियों को शासन द्वारा उनके इलाज में खर्च होने वाली रकम को सत्यापन के साथ सरकार के खजाने से ट्रेजरी विभाग के द्वारा दिया जाता है।
 इसे चिकित्सा प्रतिपूर्ति भुगतान भी कहते हैं। दरअसल होता ऐसा है कि सरकारी विभाग वह चाहे सिंचाई विभाग हो, पुलिस विभाग हो, शिक्षा विभाग हो, लोक निर्माण विभाग या राज्य सरकार के अधीन कोई भी सरकारी विभाग। यहां के कर्मचारियों को चिकित्सा (उपचार) के लिए सरकार उनके द्वारा लगाई गई धनराशि को बिल और बाउचर के आधार पर उनके विभाग द्वारा मिली संस्तुति के आधार पर ट्रेजरी के माध्यम से वापस करते हैं। इसे लेने के लिए विभाग की संस्तुति के साथ-साथ ट्रेजरी विभाग के अधिकारी महोदय की भी अनुमति जरूरी होती है यह महोदय दरअसल में कागजों का आकलन कर उसका पेमेंट खाते में भेजवाते हैं।


अब यहीं से शुरू होता है खेल!

भ्रष्टाचार का जो खेल ट्रेजरी में शुरू होता है उसकी आधारशिला है विभाग से प्राप्त होने वाला बिल। हम आपको यह भी ही बता दें कि यह बिल इलाज करने वाले डॉक्टर के साथ ही स्वास्थ्य विभाग सबसे बड़े अधिकारी के द्वारा प्रमाणित होने के बाद विभाग द्वारा चेक होने के उपरांत ट्रेजरी पहुंचता है। कई मामलों में इसमें विभाग की मिलीभगत से छोटी सी कमी छोड़ दी जाती है। जिसका फायदा यहां उठाया जाता है और शायद उसका हिस्सा बांट भी होता है। उसी कमी को आधार बनाकर ट्रेजरी का बाबू और अधिकारी आवेदन करता से 10% तक का कमीशन या सुविधा शुल्क लेता है। ऐसा ना करने पर उसी छोटी सी कमी को आधार बनाकर आपत्ति लगा दी जाती है। उसके बाद क्या होता है आप सभी समझ रहे होंगे। इसके सत्यापन के लिए बहुत कुछ नहीं करना होगा अगर एक साल के सभी मेडिकल रिम्बर्समेंट फार्म पर लगी आपत्तियों और उनके निस्तारण होने की प्रक्रिया को देख लिया जाए तो एक बहुत बड़ा खुलासा सामने आएगा।

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