सामाजिक बदलाव के साथ भारतीय समाज में बहुत से बदलाव हुए हैं. इन बदलाव में कुछ बदलाव ऐसे हैं जो हमें लुभावने तो लगते हैं मगर उनके सामाजिक दुस्प्रभाव कई हैं. पश्चिमी सभ्यता में घुलना-मिलना सायद गलत नहीं है लेकिन उसकी नकल करना शायद गलत है. बदलते दौर के साथ सबसे ज्यादा घुलने का काम युवा पीढ़ी कर रही है, इनमे लड़कियां प्राथमिकता पर हैं, कुछ ऐसा भी है जो शायद लड़कियों पर शोभा न देता हो और वो उसे करने का प्रयास कर रही हैं. अपनी सभ्यता को पैरो तले रौदने से समाज का उत्थान नही होता. जहा एक तरफ भारतीय सभ्यता व् संस्कारो को पुरे विश्व में पहचान मिल रही है वही युवाओ द्वारा पश्चिमी सभ्यता को दिया जा रहा बढ़ावा बहुत ही शर्मनाक विषय है.

टिप्पणियाँ