वन विभाग के अधिकारी ही लगा रहे हैं पर्यावरण बचाओ अभियान को पलीता
कमलेश
ईसानगर खीरी। जिले की चर्चित वन रेंज धौरहरा के अधिकारियों पर मोटी रकम के चलते मुख्यमंत्री के भी आदेश कोई मायने नहीं रखते क्योंकि वह विभाग के बड़े अधिकारी से लगाकर वाचर तक पर्यावरण बचाओ अभियान को लाल हरे नोटो के आगे पलीता लगा रहे है। क्षेत्र में पेड़ों को लगाने की जगह प्रतिबंधित पेड़ों तक को तहस नहस करवाने में कोई भी कोताही नहीं बरत रहे।जिसके चलते क्षेत्र में टिम्बर (फर्नीचर)व प्लाईवुड की दुकानें बिना रजिस्ट्रेशन कुकुरमुत्तों की तरह खुलकर बगैर परमिट आम, सागौन,शीशम,नीम,गूलर,शेमल,के पेड़ों को लकड़ी माफियाओं द्वारा खुलेआम काटकर अपने धंधे को चमकाया जा रहा है परन्तु वन क्षेत्राधिकारी सहित विभाग के अन्य अधिकारी,वाचर तक इस अवैध कटान पर रोक लगाने की जगह वसूली करने में व्यस्त नजर आ रहे है।जिसके चलते प्रदेश के मुख्यमंत्री जी के द्वारा चलाया जा रहा पर्यावरण बचाओ अभियान आगे बढ़ाने की जगह उसको पलीता लगाया जा रहा है।
उत्तर खीरी वन विभाग की धौरहरा रेंज के क्षेत्राधिकारी जहां क्षेत्र में पर्यावरण के बचाव में एक भी पेड़ न कटने का दम्भ भर रहे है वहीं क्षेत्र में लकड़ी माफियाओं की सक्रियता क्षेत्रवासियों पर भारी पड़ती नजर आने लगी है।हो भी क्यों न इन लकड़ी माफियाओं द्वारा क्षेत्र में खुलेआम बेख़ौफ़ होकर लगातार हरे भरे पेड़ों की विनाश लीला लगातार जारी रखे हुए है।जिधर भी देखो उधर हरे भरे पेड़ो पर कुल्हाड़ी व आरे चलाये जा रहे है।खाश बात हो ये है इस विनाश लीला में फारेस्ट विभाग के क्षेत्रीय कर्मचारी भी सहभागी बने हुए है।इस बाबत जब एक बड़े लकड़ी माफिया ने बात करने पर नाम न छापने की शर्त पर बताया कि हम लोग क्या करें क्षेत्र में पेड़ो को काटने से पहले फारेस्ट विभाग के बड़े अधिकारियों से परमीशन लेकर छुटभैया कर्मचारी एक मुश्त मोटी रकम लेने के बाद ही पेड़ पर कुल्हाड़ी चलाने की अनुमति देते है।इस दौरान ये पेड़ काटने से लेकर उसको सीमापार करवाने तक कि जिम्मेदारी भी लेते है। अगर कोई शिकायत हो जाती है तो उन्हीं रुपयों में लीपापोती करने के लिए जुर्माना काटने व लकड़ी बचाने का कार्य भी इन्हीं कर्मचारियों द्वारा किया जाता है।इससे वन क्षेत्राधिकारी द्वारा बार बार पेड़ न काटने की सफाई देंने पर भी सवालिया निशान लगने शुरू हो गये है।एक तरफ वन क्षेत्राधिकारी हरे भरे पेड़ो का कटान न करने का दावा कर रहे है वहीं दूसरी ओर विभाग के क्षेत्रीय कर्मचारी सुनियोजित ढंग से क्षेत्र में लगातार हरियाली की विनाश लीला जारी रखे हुए है।जिसके चलते कस्बा खमरिया,ईसानगर,कटौली,सिसैया,रमियाबेहड़,कफ़ारा क्षेत्र में कुकुरमुत्तों की तरह खुली फर्नीचर (टिम्बर) व प्लाईवुड की दुकानों के मालिकों द्वारा क्षेत्र में खुलेआम गोरखधंधा चलाकर सागौन,आम,नीम,शीशम,गूलर शेमल के पेड़ों को कटवाकर अपना धंधा चमकाकर लाखों की कमाई का जरिया बनाये हुए है।वहीं फारेस्ट विभाग की मेहरबानी के चलते इन दुकान मालिको के हौसले इतने बुलंद है कि इनके द्वारा हरियाली को नष्ट करने की चलाये जा रहे अभियान की अगर कोई फारेस्ट विभाग में शिकायत कर दे तो इन फारेस्ट कर्मियों द्वारा कार्यवाही की जगह उल्टे शिकायतकर्ता की पहचान फर्नीचर (टिम्बर)प्लाईवुड की दुकानदारों को बताकर उसका मुँह बन्द करवाने में कोई कोर कसर बाकी नही रखते।उसके बाद भी फारेस्ट विभाग द्वारा उस लकड़ी माफ़िया पर कार्यवाही तो नहीं होती पर कुछ देर बाद बेख़ौफ़ लकड़ी ठेकेदार द्वारा शिकायतकर्ता को उल्टे चेतावनी देते हुए पाठ पढ़ा दिया दिया जाता है कि हम लोगों के धंधे में टाँग अड़ाओगे तो उसके परिणाम गंभीर होंगें।हम लोग अपने धंधे को शुरू करने से पहले संबंधित अधिकारी को हर एक कटान से पहले मोटी रकम देकर मुँह बंद कर देते है।मेरा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता।भविष्य में ध्यान रखना।जिसके बाद शिकायतकर्ता को मजबूरन चुप्पी साधनी पड़ती है।इससे साफ जाहिर होता है कि मुख्यमंत्री द्वारा प्रदेश में चलाया जा रहा पर्यावरण बचाओ अभियान धौरहरा रेंज में हरे लाल नोटों के आगे कोई मायने नहीं रखता।
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