शासन के आदेश पर गांवों में पांच सदस्यीय टीम गठित
देव श्रीवास्तवनिघासन-खीरी। शासन के आदेश पर गांवों में करीब चार साल पहले ग्राम सुरक्षा समितियों का गठन किया गया था। इसके पीछे शासन की मंशा यह थी कि गांवों में सुरक्षा समितियों के होने से अपराधों पर अंकुश लगाने में पुलिस को काफी मदद मिलेगी। गांवों में होने वाली हरेक गतिविधियों की जानकारी पुलिस को मिलेगी। इससे जहां एक तरफ पुलिस का गांव-गांव में अपना नेटवर्क रहेगा, वहीं पुलिस अपराधियों पर समय रहते हुए कार्रवाई कर सकेगी। इसके अलावा प्रतिमाह सुरक्षा समितियों की थाना स्तर पर बैठकें करने और बाकायदा इसका एक रजिस्टर बनाने और समितियों द्वारा दिए जाने वाले सुझावों को उसमें दर्ज कर उस पर अमल करना था।शासन के आदेश पर गांवों में पांच सदस्यीय टीम गठित हुई। शुरुआती दौर में तो थाना स्तरों पर बैठके हुईं, लेकिन ज्यों-ज्यो समय गुजरता गया। पुलिस ने सुरक्षा समितियों की सुधि लेनी बंद कर दी। इससे सदस्यों का समिति से मोह भंग होने लगा। ऐसा नहीं है कि समितियों के सक्रिय होने की जानकारी एसपी से लेकर थानेदारों तक नहीं है। फिर भी आला अफसर समितियों के सुधार और सक्रिय करने के कोई ठोस प्रयास नहीं किए।
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