न दलित, न जाट, न अली, कायस्थ हैं बजरंग बली!

न दलित, न जाट, न अली, कायस्थ हैं बजरंग बली!


देव श्रीवास्तव/शिरीष श्रीवास्तव

लखीमपुर-खीरी। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा भक्त शिरोमणि और श्री राम भक्त हनुमान "बजरंगबली" को दलित की उपाधि दिए जाने के बाद उपजा विवाद रोज ही नया रूप ले रहा है। प्रदेश मुखिया की बयानी के बाद ओवैसी ने हनुमान को मुस्लिम, कांग्रेस नेता ने जाट और एक भाजपा नेता ने पशु की संज्ञा दे डाली। वहीं जनेऊ धारण करने के कारण ब्राह्मण उन्हें ब्राह्मण कुल का बताते हैं। इतना ही नहीं उन्हें जंगल में रहने के कारण अनुसूचित जनजाति या थारू के होने की भी संज्ञा दी गई। इस बीच हनुमान जी की जाति को लेकर एक नई पोस्ट वायरल हो रही है। यह पोस्ट है हनुमान जी के कायस्थ होने की।

यह है बयानी

कायस्थों के आराध्य चित्रगुप्त भगवान की पहली पत्नी दक्षिणा नंदनी के द्वितीय पुत्र विभानु हुए। विभानु या चित्राक्ष को चित्रगुप्त भगवान ने भट्ट देश के मालवा क्षेत्र की भट नदी के पास भेजा। यहां उन्होंने चित्तौर और चित्रकूट नगर बसाए। वहीं बस जाने के चलते इनका वंश भटनागर (भट्ट नगर में रहने वाला) कहलाया। हनुमान जी के कायस्थ होने संबंधी तर्क पर कहा कि बजरंग बाण में इसका उल्लेख आया है। ‘‘जय गिरिधर जय जय सुख सागर, सुर समूह समरथ ‘‘भटनागर"। 

यह बजरंग बाण की 11वीं लाइन है। इसमें हनुमान जी के लिए भटनागर शब्द का उल्लेख हुआ है। बजरंग बाण लगभग हर हनुमान भक्त का चहेता गायन स्त्रोत है। यह लाइन सभी को याद होगी। उन्होंने कहा कि इस लाइन से साफ प्रतीत होता है कि हनुमान जी न तो दलित हैं, न जट, न मुसलमान और न ही थारू वह कायस्थ हैं।

यह है हकीकत

कायस्थ समाज के लोगों द्वारा दी जा रही बयानी इस मुद्दे को भटकाने की नहीं है बल्कि विवाद को थामने के लिए की जा रही है। दरअसल कायस्थ समाज के लोग इस विवाद को पूरे सनातन समुदाय के लिए शर्मनाक बताते हैं। उनका कहना है कि हनुमान जी को दलित, मुसलमान, ब्राह्मण, थारू या जाट कहने वालों को शर्म आनी चाहिए। वह पूजनीय हैं और सम्माननीय हैं। केवल भक्त शिरोमणि की पहचान ही उनके लिए काफी है। लोग यही मानें तो बेहतर है।



कायस्थ समाज के शिवदान श्रीवास्तव ने भी फेसबुक पर एक ऐसी ही पोस्ट डाल कर लोगों को जागरूक करने का बीड़ा उठाया है। उन्होंने भी बजरंगबली को कायस्थ की उपाधि दी है इस मामले में जब उनसे डीएनएस न्यूज़ ने बात की तो उन्होंने जो तर्क दिया वह भी एक सोचनीय विषय है। उन्होंने कहा कि ईश्वर को जाति और धर्म में बांटकर लोग आज क्या बताना चाह रहे हैं यह चिंता का विषय है। राजनीति एक हद तक ही हो तो अच्छी होती है। कुछ इसी तरह की पोस्ट एक व्हाट्सएप ग्रुप पर संतोष श्रीवास्तव द्वारा भी डाली गई थी।

एक या दो नहीं तमाम ऐसे कायस्थ हैं जिन्होंने इन दिनों हनुमान जी या कहें बजरंगबली के कायस्थ होने की यह पोस्ट बजरंग बाण की पंक्तियों के साथ डाली है और शायद सब का उद्देश्य एक ही है कि ईश्वर को जाति और धर्म में नहीं बांटा जाना चाहिए।

भोलेनाथ का अंश हैं हनुमान

कायस्थ समाज के लोगों का कहना है कि हनुमान जी की असलियत जानने के लिए लोगों को शिव पुराण और रामायण जैसे ग्रंथ पढ़ने चाहिए। इसमें उल्लेख है कि नारद मुनि से मानवावतार में कष्ट भोगने और उनकी मदद वानरों द्वारा किए जाने के श्राप के चलते भगवान भोलेनाथ ने धरती पर वानर के रूप में अवतार लिया था। यह अवतार और कोई नहीं स्वयं केसरी नंदन पवनपुत्र हनुमान जी थे। उन्हें जातिगत आधार पर बांटना ही गलत है।

खत्म करें अवतारों का जातिबंधन करना

पोस्ट वायरल करने वालों ने न केवल हनुमान जी बल्कि अन्य अवतारों को भी जातियों से जोड़ने की कठोर निंदा की। उन्होंने कहा कि अकेले हनुमान जी ही नहीं कई अन्य अवतारों को भी जातिगत आधार पर जोड़ा जाता है और उनका बखान कर तरह-तरह के आडम्बर रचे जाते हैं। इससे बचना चाहिए। गौरतलब रहे कि भगवान विष्णु के अवतार श्री राम को क्षत्रिय, श्रीकृष्ण को यदुवंश और परशुराम को ब्राह्मण कुल का बताया जाता है। जबकि ईश्वर एक है और उसे धर्म या जाति में बांधा जाना बेहद गलत है।

मुद्दों से भटकाने की कोशिश है अनावश्यक बयानबाजी

लाखों शोषित संविदा कर्मचारियों के विषय में क्यों नहीं करता कोई बात



सोशल नेटवर्किंग साइट पर हनुमान जी को कायस्थ बताए जाने वाली पोस्ट पर अपनी बात रखते हुए एनएचएम संविदा कर्मचारी संघ उत्तर प्रदेश की जिला इकाई लखीमपुर खीरी के जिला अध्यक्ष विकास श्रीवास्तव ने बताया कि इस तरह की पोस्ट इन दिनों वायरल हो रही है। उनका मकसद सिर्फ ईश्वर को लेकर फैल रही भ्रांतियों को मिटाना है। उन्होंने कहा कि राजनीतिक दल लोगों को मुद्दों से भटका रहे हैं। अहम मुद्दे जिन पर कोई बात नहीं करना चाह रहा है और अनावश्यक बयान बाजी चल रही है। उन्होंने प्रदेश सहित देश भर के संविदा कर्मचारियों द्वारा समान कार्य समान वेतन व नियमितीकरण की मांग का जिक्र करते हुए कहा कि यह मुद्दा आज बहुत बड़ा है। लाखों युवा आज संविदा के नाम पर शोषित हो रहे हैं। परंतु उनके विषय में कोई नहीं सोचना चाह रहा। इसके विपरीत हनुमान जी की जाति को लेकर राजनेता बयान बाजी कर रहे हैं।

निवेदन-अगर आपको यह लेख पसंद आया है तो इसे अपने अन्य साथियों के साथ साझा करें और समाज में जागरूकता बढ़ाने में हमारी मदद करें।
                                               डीएनएस न्यूज

फोटो- लेखक - शिरीष श्रीवास्तव 


फोटो- स्टोरी आईडिया - देव नन्दन श्रीवास्तव

डीएनएस न्यूज़ द्वारा इस लेख को प्रकाशित करने का अर्थ धार्मिक भावनाओं को आहत करना नहीं है, बल्कि समाज को जागरूक करना है।

टिप्पणियाँ