भारतवर्ष में लगभग 600 लाख जनसंख्या बधिरता से प्रभावित है: डॉ. रविंद्र शर्मा
देव श्रीवास्तव
लखीमपुर-खीरी। 26 फरवरी को राष्ट्रीय बधिरता रोकथाम एवं नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत एएनएम प्रशिक्षण केंद्र में एनसीडी प्रकोष्ठ के नोडल अधिकारी/अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. रविंद्र शर्मा द्वारा एक प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। जिसमें जनपद में तैनात समस्त बाल रोग विशेषज्ञ चिकित्सकों तथा स्त्री रोग विशेषज्ञ चिकित्सकों को प्रशिक्षित किया गया।
कार्यक्रम के प्रारंभ में डॉक्टर रविंद्र शर्मा ने बताया कि यदि कोई बच्चा या व्यक्ति सुन नहीं पाता है तो किस प्रकार मानसिक विकास रुक जाता है और उसकी कार्यक्षमताओं तथा सामाजिक संतुलन पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। एक सर्वे के अनुसार एक लाख की जनसंख्या पर 291 व्यक्ति बधिरता का शिकार होते हैं तथा भारतवर्ष में लगभग 600 लाख जनसंख्या बधिरता से प्रभावित है। डॉक्टर शर्मा ने यह भी बताया कि यह संख्या ग्रामीण इलाकों में तुलनात्मक दृष्टि से अधिक है तथा सही समय से, जबकि बच्चा बहुत छोटा है, बधिरता की पहचान करके इस बीमारी से बचा जा सकता है तथा इसके प्रभाव को न्यूनतम किया जा सकता है।
जिला चिकित्सालय की ई०एन०टी० सर्जन डॉक्टर हर्षिता द्वारा स्त्री रोग विशेषज्ञों को बताया गया कि गर्भावस्था के दौरान तथा प्रसव के उपरांत कौन-कौन सी बीमारियां दवाएं अथवा असावधानियों के कारण नवजात में बधिरता उत्पन्न हो सकती है तथा इसके बचाव के लिए ए०एन०सी० जांच तथा प्रसव के दौरान किन किन सावधानियों से बच्चे को बधिरता से बचाया जा सकता है। इसके अतिरिक्त बाल रोग विशेषज्ञों को बताया कि कैसे माताओं को कैसे स्तनपान के लिए प्रशिक्षित किया जाए तथा नवजात में बधिरता संबंधित बीमारियों की कैसे पहचान करते हुए उसकी रोकथाम व उपचार किया जाए तथा कब उनको ई०एन०टी० विशेषज्ञ को समय से संदर्भित किया जाए।
डॉ. हर्षिता अवस्थी ने बच्चों तथा वयस्कों में होने वाली आम बधिरता संबंधी बीमारियों के विषय में विस्तार से बताया गया। अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आरपी दीक्षित ने बताया कि किस प्रकार बच्चों में बधिरता की पहचान होने पर आरबीएसके कार्यक्रम के अंतर्गत भी निशुल्क उपचार किया जा सकता है। कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ राकेश गुप्ता इपिडिमियोलाजिस्ट द्वारा किया गया।
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