घर-घर पहुंचेगी फाइलेरिया की दवा, डीएम ने की कार्यशाला

घर-घर पहुंचेगी फाइलेरिया की दवा, डीएम ने की कार्यशाला


शिरीष श्रीवास्तव
लखीमपुर-खीरी। 25 नवम्बर को आयोजित होने वाले फाइलेरिया मुक्ति अभियान को लेकर शनिवार को मीडिया संवेदीकरण/कार्यशाला का आयोजन किया गया। अध्यक्षता जिलाधिकारी शैलेंद्र कुमार सिंह ने की।
डीएम शैलेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि जिले की कुल संख्या 46 लाख 21 हजार 542 है। इसके सापेक्ष 3933 टीमें बनाई गई हैं। 687 सुपरवाइजरों को नियुक्त किया गया है। वहीं ड्रग एडमिनिस्ट्रेटर की संख्या 7866 है। लखीमपुर के लिए 351 टीमें और 59 सुपरवाइजरों, पसगवां के लिए 259 टीमें व 38 सुपरवाइजरों, फूलबेहड़ के लिए 233 टीमें व 39 सुपरवाइजरों, बिजुआ के लिए 262 टीमें व 44 सुपरवाइजरों, मोहम्मदी के लिए के लिए 280 टीमें व 47 सुपरवाइजरों, निघासन के लिए 336 टीमें व 56 सुपरवाइजरों, धौरहरा के लिए 186 टीमें व 31 सुपरवाइजरों, रमियाबेहड़ के लिए 278 टीमें व 47 सुपरवाइजरों, बेहजम के लिए 218 टीमें व 40 सुपरवाइजरों, पलिया के लिए 219 टीमें व 47 सुपरवाइजरों, मितौली के लिए 248 टीमें व 48 सुपरवाइजरों, ईसानगर के लिए 206 टीमें व 45 सुपरवाइजरों, बांकेगंज के लिए 209 टीमें व 36 सुपरवाइजरों, नकहा के लिए 214 टीमें व 38 सुपरवाइजरों व कुंभी के लिए 142 टीमें व 48 सुपरवाइजरों की व्यवस्था है। खीरी नगर के लिए 142 टीमें व 24 सुपरवाइजर तैनात होंगे।
मुख्य चिकित्साधिकारी डा. मनोज अग्रवाल ने बताया कि लिम्फैटिक फाइलेरिया को आमतौर पर हाथीपांव के नाम से जाना जाता है। यह कुरुपता एवं अपंगता बनाने वाली बीमारी है। यह बचपन में ही प्रारंभ हो जाती है। आरंभ में इसके कोई लक्षण नहीं होते। यह एक से दूसरे शरीर में आसानी से पहुंच सकती है। कई वर्षों तक यह अवस्था बनी रहती है। यह बीमारी क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होता है। इससे बचाव की दवाइयां उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा कि दो से तीन वर्षों तक अथवा उससे अधिक समय तक वर्ष में एक बार एलबेन्डाजोल, डीईसी व आइवरमेक्टिन की खुराक देनी चाहिए। हालांक दो वर्ष से कम के बच्चों, गर्भवती स्त्रियों एवं अधिक बीमार व्यक्ति को यह दवा नहीं दी जा सकती। फरवरी माह में वाराणसी में लोगों को सेवन कराया गया। सफलता मिलने के पश्चायत अब यह कार्यक्रम 11 और जनपदों में चलाया जाएगा। हाथीपांव रोगियों की प्रशिक्षण के उपरांत घर पर देखभाल एवं हाइड्रोसील रोगियों का सरकारी अस्पतालों में नि:शुल्क आपरेशन हेतु कैंप आयोजित किया जाता है। ड्रग एडमिनिस्ट्रेटर घर-घर जाकर लोगों को दवा खिलायेंगे। जो लोग छूट जाएंगे उन्हें स्वास्थ्य कर्मी (आशा) के घर से भी दवा मिल जाएगी। आशा का घर डिपो के रूप में बना रहेगा। यह कार्यक्रम बुधवार, शनिवार व रविवार को छोड़कर चलाया जाएगा। आपात स्थिति से निबटने के लिए हर ब्लाक एवं नगर में रैपिड रिस्पॉन्स टीमें बनाई गई हैं। हर टीम में दो ड्रग एडमिनिस्ट्रेटर होंगे। छह टीमों पर एक सुपरवाइजर होगा। दवा खिलाने के बाद बायें हाथ की तर्जनी में नेल मार्किंग की जाएगी। वहीं लाभांवित घर के लिए भी हाउस मार्किंग की जाएगी। इस दौरान अपर मुख्य चिकित्साधिकारी अश्वनी कुमार व जिला मलेरिया अधिकारी स्वतंत्र कुमार मिश्रा, बृजेश् शुक्ला, आरके सिंह, अंजली कुमार मिश्र, रज़ा फाजिल, सौरभ पांडे व अभय वर्मा मौजूद रहे।

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