फिट इण्डिया मूवमेन्ट के तहत निकाली गई ‘फिट इण्डिया साक्लोथॉन रैली’

फिट इण्डिया मूवमेन्ट के तहत निकाली गई ‘फिट इण्डिया साक्लोथॉन रैली’


देव श्रीवास्तव
लखीमपुर-खीरी। छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय कानुपर के निर्देषों के अनुपालन में महाविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना की टैगोर इकाई के स्वयं सेवको ने एनएसएस प्रभारी डॉ. सुभाष चन्द्रा के निर्देशन में फिट इण्डिया मूवमेन्ट के तहत ‘फिट इण्डिया साक्लोथॉन रैली’ निकाली गई। प्राचार्य डॉ. डीएन मालपानी ने साक्लोथॉन रैली को हरी झण्डी दिखाकर रवाना किया। एनएसएस स्वयं सेवको ने साक्लोथॉन रैली के माध्यम से नगर के विभिन्न मार्गांं से होकर जनमानस को ‘फिट’ रहें, स्वस्थ्य रहे’ तथा ‘फिट यूथ फिट इण्डिया’ का संदेश दिया। साक्लोथॉन रैली महाविद्यालय परिसर से प्रारम्भ हुई, जिसमें एनएसएस स्वयंसेवकों सहित विभिन्न कक्षाओं के छात्र-छात्राओं ने बडे उत्साह से प्रतिभाग किया। रैली में अर्थशास्त्र विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. ज्योति पंत ने शामिल होकर स्वयं सेवकों का उत्साहवर्धन किया और स्वयं सेवकों को बताया कि साइकिल चलाना स्वस्थ रहने के लिए लाभकारी तो है ही साथ ही साथ यह आर्थिक रूप से कम खर्चीला यातायात का साधन है और साइकिल को अपनाकर हम अपने पर्यावरण को संरक्षण देने का पावन कार्य करते हैं। साइकिल को हम सबको पर्यावरण मित्र के रूप में अपनाना चाहिए।

पर्यावरण को रखना है स्वच्छ तो ये करना होगा

हम और आप अगर अपने पर्यावरण को स्वच्छ रखना चाहते हैं तो हमें उन तमाम ऐसो आराम की चीजों का इस्तेमाल कम करना होगा जिनसे पर्यावरण दूषित हो रहा है। आज हम अपनी सहूलियत के लिए हर उस काम को करने पर आतुर हैं जिससे पर्यावरण प्रदूषण फैल रहा है। हम छोटे-छोटे बदलाव कर अपने पर्यावरण को स्वच्छ रख सकते हैं परन्तु जरूरी है कि उसके लिए हम सब जागरूक हो और दूसरों को भी जागरूक करें। आज हम थोड़ी-थोड़ी दूर जाने के लिए ही अपनी मोटरसाइकिल या कार का इस्तेमाल करते हैं जो न सिर्फ पर्यावरण को प्रदूषित करती है बल्कि हमारी जेब पर भी बोझा डालती है अगर हम इसकी जगह पैदल चलना शुरू करें या फिर साइकिल चलाकर उस स्थान तक जाना शुरू करें तो न सिर्फ हमारा शरीर स्वस्थ रहेगा बल्कि हम अपने पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी का भी निर्वहन करेंगे। सिर्फ इतना ही नहीं आज हम छोटी-छोटी जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्यावरण का बड़ा नुकसान कर रहे हैं। जिसमें हमारी प्राकृतिक संपदा पेड़ और पौधे भी हैं! आज जंगलों को काट कर मनुष्य जहां जंगली जानवरों के रहने के स्थान को खत्म कर रहा है वहीं पुराने समय से जिन गांवों में बाग लगे थे उन्हें भी बहुत तेजी से काटा जा रहा है, सबसे ज्यादा नुकसान शहरी व्यवस्था में हो रहा है आज शहर में पेड़ और पौधे तेजी से कम हो रहे हैं इसका एक प्रमुख कारण यह है कि पेड़ों का कटान तो तेजी से हुआ है, परंतु उनकी जगह पर नए पेड़ नहीं लगाए गए। सरकार द्वारा एक आद बार अभियान चलाकर जो पौधे रोपित भी किए गए उनकी देखरेख न होने के कारण वह नष्ट हो गए। ऐसे में आम नागरिक की नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि पौधों को लगाएं और जिम्मेदारी से उनको बड़ा करें ताकि हम अपनी आने वाली पीढ़ी को एक स्वच्छ और सुरक्षित पर्यावरण दे सकें।


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