दिलावरपुर की प्रधान से छिनी प्रधानी


आरक्षित सीट पर फर्जी कागजात से हासिल की थी प्रधानी

शिरीष श्रीवास्तव
लखीमपुर खीरी। मोहम्मदी ब्लाक की ग्राम पंचायत दिलावरपुर की ग्राम प्रधान शबाना खातून ने मिथ्या घोषणा कर आरक्षण का अनुचित लाभ प्राप्त करने पर डीएम महेंद्र बहादुर सिंह ने प्रधान शबाना खातून को प्रधान पद से हटा दिया। 
डीएम महेंद्र बहादुर सिंह ने बताया कि मोहम्मदी ब्लाक की दिलावलपुर का प्रधान पद वर्ष 2021 में अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित है।  जिसपर शबाना खातून ने चुनाव लड़ा और विजयी हुई। जनपद स्तरीय स्क्रूटनी समिति के निर्णय के अनुसार शबाना खातून पिछड़ी जाति शेख सरवरी नहीं है अपितु सामान्य जाति की महिला हैं। जिस कारण तहसीलदार मोहम्मदी ने प्रधान शबाना खातून के पिछड़ी जाति प्रमाण पत्र, आवेदन को निरस्त कर दिया। जिसके विरुद्ध मंडल स्तरीय समिति के समक्ष प्रस्तुत अपील को मंडल स्तरीय समिति के निर्णय ने निस्तारित कर दिया। 
डीएम ने बताया कि शबाना खातून का तहसीलदार द्वारा निरस्त किया गया पिछड़ी जाति का प्रमाण पत्र निरस्त करने का आदेश न्याय संगत है। 
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फिर लेखपाल साहब पर कार्रवाई क्यों नहीं की डीएम साहब
लखीमपुर खीरी। डीएम साहब ने फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर प्रधानी हथियाने पर प्रधान को तो हटा दिया मगर उनके द्वारा प्रमाण पत्र पर रिपोर्ट लगाने वाले लेखपालों को छोड़ देना गले से नहीं उतर रहा। दरअसल जब किसी महिला का जाति प्रमाण पत्र बनता है तब मायके पक्ष की रिपोर्ट मांगी जाती है। इसके लिए या तो पूर्व का बना कोई जाति प्रमाण पत्र, या परिवार रजिस्टर की नकल या फिर संबंधित क्षेत्र के लेखपाल का सत्यापन जाति प्रमाण पत्र के साथ अपलोड किया जाता है। उसके बाद क्षेत्रीय लेखपाल कागजाें का सत्यापन कर अपनी रिपोर्ट लगा देता है। रिपोर्ट के आधार पर तहसीलदार स्तर से प्रमाण पत्र जारी या निरस्त किया जाता है। फिर लेखपाल ने कैसे इस मामले में रिपोर्ट लगा दी, यह आसानी से समझा जा सकता है। वैसे भी लेखपालों द्वारा पद के दुरुपयोग के कई मामले अक्सर प्रकाश में आते रहते हैं।

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