डायलिसिस से बचा सकता है गुर्दे (किडनी) का समय पर और सही इलाज- सीएमओ
विश्व गुर्दा दिवस पर लखीमपुर स्थित डायलिसिस सेंटर पहुंचे सीएमओ और एसीएमओ
मरीजों के साथ केक काटकर मनाया विश्व गुर्दा दिवस
लखीमपुर खीरी। विश्व गुर्दा दिवस के अवसर पर लखीमपुर खीरी स्थित डीसीडीसी किडनी केयर सेंटर पर सीएमओ डॉ. संतोष गुप्ता व एसीएमओ डॉ. अनिल कुमार गुप्ता ने गुरुवार को पहुंचकर मरीजों का हालचाल जाना और केक काटकर विश्व गुर्दा (किडनी) दिवस को मनाया। यह कार्यक्रम मरीजों सहित आम जनमानस में गुर्दा (किडनी) में होने वाली बीमारियों से जागरूकता को लेकर मनाया गया।
एसीएमओ डॉ. अनिल कुमार गुप्ता ने बताया कि हर वर्ष मार्च माह के दूसरे गुरुवार को विश्व गुर्दा दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष की थीम सभी के लिए किडनी स्वास्थ्य अप्रत्याशित के लिए तैयारी, कमजोरों का समर्थन, विषय पर जागरूकता कार्यक्रम किए जा रहे हैं। इसी उपलक्ष में सीएमओ डॉ. संतोष गुप्ता द्वारा भी लखीमपुर में स्थित डीसीडीसी डायलिसिस सेंटर पर भ्रमण किया गया और यहां पर भर्ती मरीजों से मिल रही सेवाओं के बारे में जानकारी ली गई। इस अवसर पर मरीजों के साथ केक काटकर जागरूकता कार्यक्रम को मनाया गया।
सीमा डॉ. संतोष गुप्ता द्वारा बताया गया की 11 अप्रैल 2022 में डीसीडीसी डायलिसिस यूनिट सेंटर का शुभारंभ हुआ था। वर्तमान समय में 12 कर्मचारी इसमें अपना सहयोग दे रहे हैं। ओम शर्मा इस यूनिट के मैनेजर हैं। वहीं डॉ सचिन चौरसिया डीएमओ हैं। यहां पर 7 टेक्निकल स्टाफ तैनात है। जिनमें राजेश्वर, धर्मेंद्र, तौफीक, शुभम, अनुपम हर्ष व विवेक अपनी सेवा दे रहे हैं। वहीं राम सिंह स्टाफ नर्स और निधी, दीपू, मुनीश एचके हैं। यह सभी डायलिसिस सेंटर पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। डायलिसिस यूनिट में 10 बेड व 10 मशीनें हैं। यहां पर 9 बेड नेगेटिव पेशेंट के लिए व एक बेड एचसीवी पॉजिटिव पेशेंट के लिए है। डायलिसिस यूनिट की स्थापना के बाद से अब तक 4435 लोगों को डायलिसिस की सुविधा यहां से दी गई है। यह एक बड़ी उपलब्धि है।
उन्होंने यह भी बताया कि इस डायलिसिस सेंटर के शुरू होने से पहले लोगों को आसपास के महानगरों में डायलिसिस के लिए जाना पड़ता था और जो इक्का-दुक्का डायलिसिस यूनिट शहर में थे भी वह बहुत महंगे थे और वहां पर मरीजों को बड़ी रकम खर्च करनी पड़ती थी। ऐसे में शासन के सहयोग से डीसीडीसी किडनी केयर सेंटर की लखीमपुर में शुरुआत के बाद से सैकड़ों मरीज इसका लाभ ले रहे हैं। उन्होंने विश्व गुर्दा दिवस 2023 की थीम पर बोलते हुए कहा कि "सभी के लिए किडनी स्वास्थ्य अप्रत्याशित के लिए तैयारी कमजोर ओं का समर्थन" जैसी थीम वर्तमान समय के लिए बड़ा संदेश दे रही है, जो किडनी की बीमारी का जल्द पता लगाने, प्रभावी प्रबंधन और देखभाल के महत्व पर जोर देता है। लाखों लोग गुर्दे की बीमारी से पीड़ित हैं जो एक गंभीर सामाजिक स्वास्थ्य समस्या है। ऐसे में आज जरूरत है कि लोग गुर्दे की बीमारियों के बारे में अपनी जानकारी को बढ़ाएं और लोगों में इस बात को लेकर जागरूकता होनी चाहिए की गुर्दे का सही इलाज और समय पर इलाज उन्हें डायलिसिस से बचा सकता है।
गुर्दा खराब होने के प्रमुख कारण
एसीएमओ डॉ अनिल कुमार गुप्ता ने बताया कि रक्त में विषाक्त पदार्थों और अशुद्धियों के संचय के कारण होता है, जिसके परिणामस्वरूप गुर्दे खराब होते जाते हैं। जब चोट लगने, हाई ब्लड प्रेशर या फिर डायबिटीज के कारण किडनी डैमेज हो जाती हैं, तो यह शरीर से विषाक्त पदार्थों को फिल्टर नहीं कर पाती, जिससे जहर का निर्माण होता है। ऐसे में किडनी ठीक से काम नहीं करती और टॉक्सिन जमा हो सकते हैं।
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