बुजुर्गों को मिल रहे सरकारी लाभ में सबसे बड़ा रोड़ा बन रहा नलकूप विभाग का बाबू

बुजुर्गों को मिल रहे सरकारी लाभ में सबसे बड़ा रोड़ा बन रहा नलकूप विभाग का बाबू

लखीमपुर खीरी। नलकूप विभाग इन दोनों अपनी कार्यशैली के लिए चर्चा में है। रिटायर्ड कर्मचारी और उनके आश्रितों को सरकार द्वारा दी जा रहे लाभ मेडिकल रीइंबर्समेंट को देने में विभाग का बाबू महीनों लगा देता। इस देरी के पीछे का कारण बताने वाला कोई नहीं है क्योंकि बाबू तो बाबू यहां के अधिकारी महोदय भी अपना फोन नहीं उठाते हैं। मजबूर बुजुर्ग कर्मचारी और उनके आश्रित दफ्तर के चक्कर लगाकर अपनी चप्पलें घिसने को मजबूर हैं।  

ताजा मामला एलआरपी स्थित नलकूप विभाग का यहां पर तैनात लिपिक वीरेंद्र पाल सिंह की मनमानी थमने का नाम नहीं ले रही। यह बाबू वैसे भी अपनी मनमानी के लिए पूरे विभाग में चर्चित है। इस पर ना तो शासन के नियम चलते हैं ना ही अधिकारियों का आदेश! अपने अड़ियल और मनमाने रवैये के लिए जाने-जाने वाले बाबू की मनमानी की इंतहा तो तब हो जाती है जब वह शासन की योजनाओं का लाभ भी देने में महीना लगा देता है। नलकूप विभाग में काम करने वाले कई कर्मचारी रिटायर हो गए हैं। कई का निधन हो चुका है और उनके आश्रित को भी सरकार मेडिकल रीइंबर्समेंट यानी चिकित्सा क्षति पूर्ति का लाभ दे रही है। इसके लिए रिटायर्ड कर्मचारी या उनके आश्रित इलाज कराने के बाद जरूरी दस्तावेज विभाग में लिपिक वीरेंद्र पाल सिंह के पास जमा कर देते हैं, लेकिन वीरेंद्र पाल के पास इतना समय नहीं है कि वह इन कागजों को शासन की मंशा और उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री के निर्देशों के तहत तत्काल प्रक्रिया में ले आए। वह इन कागजों के सत्यापन की प्रक्रिया में महीना लगा देता है और ऐसे में बुजुर्ग कर्मचारी व आश्रित विभाग के चक्कर लगाते रहते हैं। इसके पीछे उसकी मंशा क्या है यह साफ तौर पर समझा जा सकता है हालांकि इन मजबूरन की सुनने वाला यहां कोई नहीं है, जबकि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा बुजुर्गों को लेकर विशेष निर्देश जारी किए गए और उन्हें कार्यालय में तमाम सहूलियतें समय पर देने के लिए कहा गया है, परंतु शायद बाबूजी इससे इत्तेफाक नहीं रखते।

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