दिल में एक बार फिर आई भाजापा ने जब जब सरकार बनाई तब उसने न जाने क्या सोचकर कर्मचारियों के हितों को मारा है कर्मचारियों की पेंशन बंद कर वर्तमान अटल बिहारी बीजेपी सरकार ने इस बात का पहला उदाहरण दिया था यह सरकार कर्मचारियों की नहीं है बहुत से लोगों का ऐसा भी सोचना है की कर्मचारी अपने कर्तव्यों का निर्वाह सही से नहीं करते ऐसे लोगों को यह बताना जरूरी है इन्हीं कर्मचारियों की वजह से देश और प्रदेश की सरकार सही से चल पा रही है फिर अगर मान भी लें की कर्मचारियों की पेंशन बंद कर दी जानी चाहिए थी तो मैं यह पूछना चाहता हूं की जिन्होंने अपने जीवन के 30 या 35 साल सरकार को दिए हो उनके लिए उनके भविष्य की जिम्मेदारी किसकी है जबकि महज 5 साल सरकार में रहने वाले विधायक सांसदों को मोटी पगार के बाद भी जीवन भर सरकारी सुविधाओं के साथ पेंशन की व्यवस्था को क्यों चालू रखा गया इनकी भी पेंशन को खत्म कर दिया जाता तो आज यह सवाल नहीं उठता
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