फ़लक़ तक है अदम्य जिजीविषा के धनी लेखक- पत्रकार अनिल श्रीवास्तव की उड़ान

फ़लक़ तक है अदम्य जिजीविषा के धनी लेखक- पत्रकार अनिल श्रीवास्तव की उड़ान


उत्कृष्ट रचनाधर्मिता के लिए हुआ अनिल का सम्मान

विवेक श्रीवास्तव
लखीमपुर-खीरी। इंडियन रेडक्रॉस सोसायटी और लायंस क्लब ने संयुक्त रूप से पत्रकार-लेखक अनिल श्रीवास्तव का अभिनन्दन कर उन्हें सम्मानित किया। इस अवसर पर नगरवासियों ने समारोहपूर्वक प्रतीक चिह्न, पुष्पगुच्छ व पुष्पहार उन्हें समर्पित कर उत्कृष्ट साहित्य-पत्रकारिता सेवा और स्वस्थ व दीर्घायु जीवन की कामना की। कार्यक्रम में समाजसेवी व पत्रकार श्री श्रीवास्तव के परिवारीजनों का भी सम्मान किया गया।

नोएडा निवासी लेखक, पत्रकार व समाजसेवी अनिल श्रीवास्तव की किडनी पिछले छह सालों से पूर्णतया ख़राब है। डायलिसिस सपोर्ट पर चल रहे श्री श्रीवास्तव लेखन, पत्रकारिता और समाजसेवा के द्वारा समाज को नई दिशा देने का कार्य कर रहे हैंं। अखबार और वेब पोर्टल्स को अपनी निर्बाध रचनात्मक सेवाएं देने श्री श्रीवास्तव नई दिल्ली में सक्रिय तराई वेलफेयर सोसायटी की गतिविधियों में सक्रिय भूमिका निरंतर निभा रहे हैंं। उनकी जिजीविषा को दृष्टिगत रखते हुए नगर की इन्डियन रेडक्रॉस सोसायटी व लायंस क्लब द्वारा सेठघाट अर्जुनपुर स्थित कृष्ण गोपाल श्रीवास्तव के आवास पर आयोजित समारोह में अनिल श्रीवास्तव के कृतित्त्व व व्यक्तित्त्व पर सारगर्भित चर्चा हुई। इस अवसर पर उनकी जिजीविषा की भूरि-भूरि प्रशंसा के साथ ही उन्हें सम्मानित किया गया।

   श्री श्रीवास्तव को सम्मानित करने वाले विशिष्ठ जनों में एसीएमओ डॉ. रविंद्र शर्मा, जिला कोऑर्डिनेटर इंडियन रेडक्रॉस सोसाइटी आरती श्रीवास्तव, आर्येंद्र पाल सिंह अध्यक्ष
लायंस क्लब, डॉ. कुलदीप सिंह आजीवन सदस्य रेडक्रॉस, अनुराग सक्सेना आजीवन सदस्य रेडक्रॉस, बबिता सक्सेना स्वयंसेवी रेडक्रॉस, पूजा श्रीवास्तव, स्वयंसेवी रेडक्रॉस, डॉ.प्रसून टंडन लायंस क्लब सहित अनेक गणमान्य जन उपस्थित थे। यह सम्मान उन्हें निर्भीक पत्रकारिता, उत्कृष्ट लेखन और प्रखर समाजसेवा के लिए दिया गया। कार्यक्रम में श्री श्रीवास्तव की अर्द्धांगिनी रीता श्रीवास्तव, पुत्री अक्षरा श्रीवास्तव, पुत्र अनुभव श्रीवास्तव, भाई अनुज श्रीवास्तव, अतुल श्रीवास्तव, माँ श्रीमती शांति श्रीवास्तव, सास गायत्री देवी का भी सम्मान किया गया।

  उल्लेखनीय है क़ि वर्ष 2012 में माँ की एक किडनी उन्हें लगाई गई थी। वह किडनी मात्र ढाई माह ही चल सकी। उन्हें फिर डायलिसिस सपोर्ट पर आना पड़ा।तब से वे डायलिसिस सपोर्ट पर ही हैं। ऐसी विषम परिस्थितियों में पत्नी ने सिलाई और गारमेंट का काम शुरू किया। श्री श्रीवास्तव ने लेखन और पत्रकारिता में अपने आपको सक्रिय रखा। गौरतलब है क़ि वे अपने अध्ययनकाल 1995 से ही पत्रकारिता क्षेत्र में सक्रिय है। पहले लखनऊ में थे, बाद में जॉब के लिए नोएडा आना पड़ा। यहीं किडनी ख़राब होने के बाद जॉब से हटना पड़ा। लेकिन अनिल ने हिम्मत नही हारी। उन्होंने कागज़ और कलम को अपना साथी बना लिया। हौसलों की ऐसी उड़ान भरने वाले अनिल श्रीवास्तव को लखीमपुर नगर सम्मानित कर स्वयं को धन्य महसूस कर रहा है। समारोह उपरांत श्री श्रीवास्तव को संस्थाद्वय के पदाधिकारीगण तथा खीरी के ए सी एम ओ डॉ.रविन्द्र शर्मा बस स्टेशन तक ससम्मान छोड़ने आए। लखीमपुर में हुए सम्मान के लिए श्री श्रीवास्तव ने सभी के प्रति आभार प्रकट किया।

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