बच्चों की किशोरावस्था में अभिभावक बने अच्छे दोस्त
आरकेएसके कार्यक्रम के तहत किशोर-किशोरियों को दी गई विभिन्न मुद्दों पर जानकारी
देव श्रीवास्तव
लखीमपुर-खीरी। भारत में किशोर वर्ग 10 से 19 वर्ष के नागरिकों का प्रतिशत बढ़ रहा है, जो की संपूर्ण आबादी का एक चौथाई हिस्सा है। किशोरावस्था को किसी व्यक्ति के जीवन की एक निश्चित समयावधि मानने के बजाए एक अवस्था समझी जानी चाहिए। यह गौण यौन लक्षणों से यौन एवं प्रजनन परिपक्वता से स्वरूप द्वारा परिवर्तन एवं विकास की अवस्था है, जो कि सम्पूर्ण सामाजिक, आर्थिक तथा भावात्मक सापेक्ष स्वतंत्रता का परिवर्तन काल है। परिवर्तन की इस अवस्था के दौरान किशोर वर्ग कई जटिल मुद्दों, लैंगिंक भेदभाव, कम उम्र में विवाह, गर्भावस्था, प्रजनन व प्रसव के दौरान कई जटिलताओ का सामना करते है। ऐसे में आरटीआई, एसटीआई तथा एचआईवी, एड्स की जोखिम वृद्धी, प्रजनन एवं यौन स्वास्थ्य की समस्याओं को और भी बढ़ा देती है जो कि मातृत्व रुग्णता, मृत्युदर तथा नवजात मृत्युदर की वृद्धि का कारण है। ऐसी परिस्थितियां किशोरों के स्कूल छुड़ा देने, उनके बाहर निकलने में बाधक तथा सामजिक मेल-मिलाप को कम करने का अतिरिक्त कारण है।
समाज द्वारा बनाए गए नियमों को बाधा समझते हैं
किशोर/किशोरियां भविष्य के नेतृत्वकर्ता हैं, उनकी महत्वाकांक्षाए, इच्छाए एवं जिज्ञासाएं तथा उत्सुक्ताएं उनके उज्ज्वल भविष्य के निर्माण के एक उपयुक्त वातावरण तैयार करते है, फिर भी इस अवस्था में किशोर व्यक्तिगत पहचान, साथियों के बीच स्वीकार्यता, माता-पिता की सहमति तथा समाज के संपूर्ण ताने-बाने से संघर्ष करते रहते हैं। अपने जीवन के इस दूसरे दशक में उनके मन में जीवन का अर्थ, पारिवारिक मान्याताओं, मूल्यों और आदर्शों के सम्बन्ध में जिज्ञासा प्रारंभ होती है, वे समाज द्वारा बनाए गए नियमों को बाधा समझते हैं तथा जीवन का संपूर्ण आनन्द अपनी शर्तो पर उठाना चाहते हैं। वे प्रायः अपने क्रियाकलापों, व्यवहारों और लक्षणों के प्रति पूर्ण सचेत रहते हैं और स्वयं को लगातार आलोचनात्मक नजरिए से तौलते रहते है। वे प्रायः अपने परिजनों की सहमति तथा साथियों में स्वीकार्यता के बीच जूझते रहते हैं, जो कि आमतौर पर एक-दूसरे के विपरीत होती है, इनमें से किसी एक पक्ष चुनने पर आतंरिक रूप से अशांत हो जाते है या वे पश्चाताप या अपराधबोध से ग्रस्त हो जाते है, मूल्यों, सामथ्यों तथा जीवन परिस्थितियों का सामना करने के अलग-अलग अंदाज, किशोरों तथा माता-पिता दोनों ही चिंता और तनाव का कारण बनते है। किशोरावस्था में उलझें किशोरों की समस्याओं के देखते हुये भारत सरकार द्वारा सात जनवरी 2014 को राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरकेएसके) की शुरूआत की। आरकेएसके के अन्तर्गत शहरी और ग्रामीण इलाकों के 10 से 19 वर्ष तक के व्यक्ति चाहे वह लड़का हो या लड़की, विवाहित हो या अविवाहित, गरीब हो या अमीर, स्कूली छात्र/छात्रा हों या स्कूल छोड़ चुके हों, किशोर कहलाएंगे। यह व्यापक परिभाषा विभिन्न समूहों और श्रेणियों में किशोरों की असंख्य समस्याओं का समाधान करने में मदद की जाती है।
प्रशिक्षित डॉक्टर और काउंसलर देते हैं सुझाव
राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के अन्तर्गत किशोर मैत्री क्लीनिक (एडोल्सेन्ट फ्रेंडली हेल्थ क्लीनिक) का संचालन जिला चिकित्सालयों एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर संचालित की जा रहा है। क्लीनिक पर प्रशिक्षित काउंसलरों एवं डॉक्टर द्वारा किशोर-किशोरियों की समस्याओं को समझ कर उनको बेहतर सुलझान (काउंसलिंग) के माध्यम से सही सुझाव के चयन में मदत की जाती ह।
जनपद लखीमपुर खीरी में जिला स्तर पर जिला महिला एवं जिला पुरुष चिकित्सालय एवं ब्लॉक स्तर पर समस्त विकास खण्ड की सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र का सफलता पूर्वक संचालन किया जा रहा है। जनपद की समस्त किशोर मैत्री क्लीनिकों द्वारा वित्तीय वर्ष 2018-2019 में कुल 103860 किशोर किशोरियों का पंजीकरण किया। जिसमें 54127 किशोर-किशोरियों को क्लीनिकल सर्विस दी एवं 96210 किशोर-किशोरियों की विभिन्न मुद्दों पर परामर्श दी गयी।
न्यूट्रीशन(पोषण) पर 52302
माहवारी पर 13889
लर्निंग प्रोब्लम 3745
वाइलेन्स पर 646
स्ट्रेस पर 2495
सुसाइडल टेंडेंसी पर 23
मेंटल हेल्थ पर 744
आर.टी.आई / एस.टी.आई पर 5001
सेक्सुँल एब्यूज पर 129
सेक्सुँल प्राब्लम पर 2692
एवं सब्सटैन्स एब्यूज 535
डॉ आर०पी०दीक्षित
नोडलअधिकारी आर.के.एस.के
परिवर्तन की इस अवस्था के दौरान किशोर वर्ग कई जटिल मुददों गर्भावस्था , प्रजनन व प्रसव के दौरान कई जटिलताओ का सामना करते है |
दीपमाला
किशोर स्वास्थ्य काउंसलर
जिला महिला चिकित्सालय , लखीमपुर
किशोरावस्था में स्वास्थ्य के प्रति रहे सचेत ,
अभिभावक अपने किशोरावस्था के बच्चों में
डाले अच्छे खान पान एवं नियमित व्यायाम की आदत |
सचिन गुप्ता
समन्वयक आर०के० एस० के०
अभिभावक अपने किशोरावस्था के
बच्चों के बने अच्छे दोस्त एवं इस अवस्था में होने वाले शारीरिक, मानसिक लैंगिंक भेदभाव, कम उम्र में विवाह, एवं भावनात्मक बदलावों पर करें बात |
श्वेता सिंह
किशोर स्वास्थ्य काउंसलर
सामु०स्वा०केन्द्र – नकहा , लखीमपुर
किशोरावस्था को अत्यंत तनाव एवं तूफान की अवस्था कहते है , इसलिए अभिभावक अपने बच्चों की आवश्यकता एवं भावनाओं के प्रति जागरुक हो उन्हें समझने की कोशिश करें |
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