विपक्षी जिन जातिगत आंकड़ों पर रहे थे खेल उन्हें मोदी की नीतियों ने कर दिया फेल

विपक्षी जिन जातिगत आंकड़ों पर रहे थे खेल, उन्हें मोदी की नीतियों ने कर दिया फेल


देव श्रीवास्तव
लखीमपुर-खीरी। 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद जिस तरह से भाजपा या कहे मोदी नीतियों ने जातिगत आंकड़ो सेंध लगाई थी, जिससे 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी की लहर की सुनामी देखने को मिली थी, कुछ उसी तरह 2019 के चुनाव में भी जातिगत आंकड़ोंं पर मोदी सुनामी भारी पड़ी है। 
  खीरी लोकसभा व धौरहरा लोकसभा का हाल चुनाव से पहले जो था, उसी मोदी लहर ने पलट कर दिया। अगर जातिगत आंकड़ों की बात करें तो खीरी लोकसभा में कुर्मी और मुस्लिम मतदाता निर्णायक की भूमिका में रहता है, लेकिन इस बार इन वोटरों में मोदी की नीतियोंं ने ऐसी सेंध लगाई कि चुनाव ही बदल गया। जो लोग इन दोनों वर्गों के वोटोंं दंभ भर जीत का दावा कर रहे थे, उनके लिए इन वर्गों में लगी सेंध ही हार का बड़ा सबब बन गई। वहीं अगर लोकसभा धौहरा की बात करें तो यहां भी ब्राम्हण और मौर्य वोट निर्णायक की भूमिका में रहता है, लेकिन इस बार 2014 की तरह ही जातिगत आंकड़े इस लोकसभा में काम नहीं कर पाए। यहां से कांग्रेस के ब्राहम्ण प्रत्याशी जितिन प्रसाद को करारी मुंह की खानी पड़ी। एक-नहीं दो नहीं बल्कि तीसरे नंबर पर चिपक गए है। वहीं रेखा वर्मा को टक्कर देते हुए गठबंधन से बसपा प्रत्याशी अरशद सिद्दीकि ने भाजपा प्रत्याशी का कुछ दूर पीछा तो किया लेकिन मोदी सुनामी के आगे वह भी धाराशाई हो गया। कुल मिलाकर दोनों ही लोकसभा सीटें इस बार फिर 2014 की तरह ही जातिगत आंकड़ों से अलग मोदी लहर में भाजपा की झोली में आ गिरी है। 

उपचुनाव पर भी भारी पड़ी मोदी लहर

निघासन में पूर्व मंत्री व भाजपा नेता पटेल रामकुमार वर्मा की मौत के खाली हुई सीट पर उनके पुत्र इं. शशांक वर्मा पर भाजपा ने दांव खेला था और यह दांव भी भाजपा लहर में मोदी के खाते में आ गिरा है। मोदी लहर के चलते उपचुनाव की यह सीट भाजपा की झोली में आ गिरी है। आपको बता दें कि 2014 के बाद में हुए उपचुनावउपचुनावोंं सपा, बसपा व कांग्रेस ने पूरे देश में अलग-अलग राज्यों उत्तर प्रदेश सहित अपना परचम लहराया था। वहीं 2019 के उपचुनाव में भाजपा निघासन सीट से काफी उम्मीदें नहीं रख रही थी। लेकिन मोदी लहर ने इस सीट को भी भारी बहुमत से भाजपा की झोली में डाल दिया है।  

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