महिला कर्मचारियों की लिखित आज्ञा के बिना नाइट शिफ्ट नहीं लगाई जा सकती
सतेंद्र कुमर
लखनऊ- उत्तर प्रदेश में सभी सरकारी और प्राइवेट कंपनियां महिला कर्मचारियों की लिखित आज्ञा के बिना नाइट शिफ्ट नहीं लगा सकती हैं। महिला कर्मचारी से उसकी इच्छा के विरुद्ध शाम को 7 बजे से सुबह के 6 बजे तक ड्यूटी कराने पर श्रम कानून का उल्लंघन माना जाएगा।
उत्तर प्रदेश सरकार ने महिलाओं के हितों को ध्यान में रखते हुए काफी अहम फैसले लिए हैं इसमें चाहे मामला तीन तलाक का हो या फिर एंटी रोमियो स्क्वाड का हो। योगी सरकार ने वर्किंग वूमेन के लिए एक नया फैसला लेकर फिर से सुर्खियां बटोर ली हैं।
उत्तर प्रदेश में महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए योगी सरकार ने यह फैसला लिया है कि अगर कोई भी कंपनी किसी महिला कर्मचारी से रात में ड्यूटी कराना चाहती है तो उसे महिला कर्मचारी से लिखित में परमिशन लेनी होगी। इसके साथ-साथ महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कुछ अहम सुझाव भी दिए गए हैं जो कि इस प्रकार हैं
-एक ग्रुप में कम से कम चार महिलाओं की स्वीकृति के बाद ही उन्हें नाइट शिफ्ट करने की अनुमति दी जा सकती है।
-नाइट ड्यूटी करने वाली महिलाओं के लिए शौचालय भोजन सुरक्षा तथा यातायात की व्यवस्था की जिम्मेदारी कंपनी पर निर्भर करती है।
-कंपनी को महिला कर्मचारी को उसके घर से अपने बहन के द्वारा बुलवाना होगा तथा ड्यूटी खत्म होने के बाद घर तक सुरक्षित छोड़ने की जिम्मेदारी भी कंपनी की ही होगी।
-अगर कंपनी महिला से नाईट ड्यूटी कराना चाहती है तो किसी विशेष विभाग में कम से कम 4 महिलाओं को एक साथ नाइट ड्यूटी पर नियुक्त किया जा सकता है। अगर कोई महिला नाइट ड्यूटी नहीं करना चाहती है तो उस पर कंपनी के द्वारा कोई भी दबाव नहीं बनाया जा सकता अगर कंपनी ऐसा करने की कोशिश करेगी तो यह श्रम कानून का उल्लंघन होगा और कंपनी पर श्रम कानून के तहत उचित कार्यवाही की जाएगी।
यूपी के अपर मुख्य सचिव श्रम सुरेश चंद्र ने बताया कि महिला कर्मचारी की सहमति के बाद ही उसे शाम को 7 बजे से सुबह के 6 बजे के बीच ऑफिस में काम करने की परमिशन दी जा सकती है। अगर महिला कर्मचारी नाइट शिफ्ट में काम नहीं करना चाहती है तो उस पर किसी प्रकार का कोई दबाव नहीं बनाया जा सकता है और ना ही उसे कंपनी से निकाला जा सकता है।
वैसे तो योगी सरकार महिला सुरक्षा तथा महिला के हितों का खास ध्यान रखती है लेकिन वर्किंग वूमेन के लिए यह फैसला लेकर उत्तर प्रदेश सरकार ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि योगी सरकार वास्तव में महिलाओं सुरक्षा के प्रति कितनी संवेदनशील है।
प्राइवेट सेक्टर में महिलाओं के शोषण को रोकने के लिए तथा महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने यह अहम फैसला लिया है।
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