परिवार की खुशहाली में अहम भूमिका निभा रहे अस्थाई गर्भ निरोधक साधन

बच्चों के जन्म में अंतर रखने में बेहद कारगर है अंतरा इंजेक्शन


लखीमपुर- खीरी, 19 जुलाई  2022। परिवार में खुशहाली लाने के साथ ही तमाम तरह की शारीरिक परेशानियों से निजात दिलाने में नए अस्थायी गर्भनिरोधक साधनों की अहम भूमिका है। यही नहीं नए गर्भनिरोधक साधनों में महिलाओं की पहली पसंद बना त्रैमासिक गर्भनिरोधक इंजेक्शन अन्तरा जहां बच्चों के जन्म में अंतर रखने में बेहद कारगर व सुरक्षित है वहीं गर्भाशय, अंडाशय व स्तन के कैंसर से भी रक्षा करता है। यह कहना है परिवार कल्याण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. अश्विनी कुमार का। एसीएमओ डॉ. अश्विनी कुमार का कहना है कि बार - बार गर्भपात, अस्पताल के चक्कर लगाने, कमजोर होती सेहत जैसी दिक्कतों से निजात पाने और परिवार में खुशहाली लाने के लिए परिवार नियोजन के नए साधन अपनाने में ही सही समझदारी है। इसके लिए वर्तमान में दो नए अस्थायी गर्भनिरोधक साधन अंतरा इंजेक्शन व छाया गोली उपलब्ध हैं। दोनों साधन जहां एक ओर दो बच्चों के जन्म में अंतर रखने में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं, वहीं इनके इस्तेमाल से एनीमिया व कैंसर से भी बचाव होता है। उन्होने बताया कि छाया गोली के सेवन से माहवारी सामान्य होती है तथा ज्यादा दिनों के अंतराल पर होती है। इससे रक्तस्राव कम होता है जो एनीमिक महिलाओं के लिए लाभकारी है। अंतरा में प्रोजेस्टेरोन हार्मोन्स होता है जो गर्भाशय, अंडाशय व स्तन के कैंसर से बचाव में सहायक है। कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. अश्विनी कुमार के अनुसार त्रैमासिक गर्भनिरोधक इंजेक्शन अंतरा  व छाया गोली काफी सुरक्षित व असरदार हैं और महिलाओं को खूब भा भी रही है। यह दोनों साधन जिला चिकित्सालय सहित सभी सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर निःशुल्क उपलब्ध हैं। उन्होने बताया - वित्तीय वर्ष 2021-22 के अनुसार जनपद में 37000 छाया गोली व 6999  अंतरा इंजेक्शन के डोज़ इस्तेमाल कर लोग परिवार के साथ खुशहाल जीवन जी रहे हैं।

छाया बनी सहेली : 

डॉ. अर्चना ने बताया कि छाया हारमोन रहित एक गर्भनिरोधक गोली है। यह बाज़ार में सहेली के नाम से भी उपलब्ध है। इसके उपयोग का कोई दुष्प्रभाव नहीं है। इसीलिए अन्य गर्भनिरोधक गोलियों की तरह उल्टी होना, वजन बढ़ना, सूजन, अधिक रक्तस्राव जैसी समस्याएं इसमें नहीं होती। बच्चों में अंतराल रखने के लिए यह गोली एक बेहतर विकल्प है। उन्होने बताया कि इसे स्तनपान कराने वाली व स्तनपान न कराने वाली सभी महिलाएं इस्तेमाल कर सकती हैं। ध्यान रहे छाया गोली की शुरुआत करने से पहले महिला की डॉक्टर से जांच कराना आवश्यक है। 

छाया गोली कब लें -

छाया की पहली गोली की शुरुआत माहवारी के पहले दिन से ही करना चाहिए तथा पहले तीन महीने तक सप्ताह में दो दिन और  तीन माह बाद सप्ताह में सिर्फ एक बार खानी होती है। 

कौन कर सकता है उपयोग–

●    गर्भवती को छोड़कर 15 से 49 वर्ष की  महिलाएं 

●    कोई भी महिला जिसे बच्चे हों या न हों 

●    जिन महिलाओं को माला–एन अथवा माला–डी से दुष्प्रभाव हुआ हो इसे चुन सकती हैं।

●    यह माँ के दूध की मात्रा या गुणवत्ता पर कोई प्रभाव नहीं डालता 

अंतरा है बेहद कारगर व सुरक्षित 

अंतरा प्रत्येक तीन महीने पर इंजेक्शन द्वारा दिया जाता है, जो महिलाएं गर्भनिरोधक गोली नहीं खा सकतीं वह इसका इस्तेमाल कर सकती हैं। यह लंबी अवधि तक गर्भधारण से बचाता है तथा दो बच्चों के जन्म में  अंतर रखने में सहायक है। इसे चिकित्सक की परामर्श से ही अपनाना है। अंतरा इंजेक्शन बांह, कमर या कूल्हे में डॉक्टर या प्रशिक्षित नर्स द्वारा लगाया जाता है। इंजेक्शन लगाए जाने के बाद महिला को उस जगह की मालिश या गरम सेंक नहीं करनी चाहिए।

कौन लगवा सकता है इंजेक्शन–

●    किशोरावस्था से लेकर 45 वर्ष की महिला चाहे उन्हे बच्चे हों अथवा नहीं 

●   जिन्हें हाल ही में गर्भपात हुआ हो 

●   स्तनपान कराने वाली महिला (प्रसव के छह सप्ताह बाद)

●    एचआईवी से संक्रमित महिला चाहे इलाज करा रही हो अथवा नहीं 

बाक्स 

कब लगवाएं अंतरा –

●    प्रसव के छह सप्ताह बाद

●    माहवारी शुरू होने के सात दिन के अंदर

●    गर्भपात होने के तुरंत बाद या सात दिन के अंदर

अंतरा से लाभ –

●   तीन महीने में सिर्फ एक बार लेने की अवश्यकता होती है 

●  जो महिलाएं गोली नहीं खा सकतींअंतरा लगवा सकती हैं।

 ●  इसे बंद करने के पश्चात गर्भधारण में कोई समस्या नहीं होती।

 ●  कुछ मामलों में माहवारी के ऐंठन को कम करता है। 

 ●  पहले से चल रही किसी भी दवा के साथ इसे लिया जा सकता है।

 ●  गर्भाशय व अंडाशय के कैंसर से बचाता है 

   लाभार्थी की गोपनीयता बनी रहती है। 

अंतरा के सामान्य प्रभाव

स्त्री रोग विशेषज्ञ सीएमएस डॉ ज्योति मेहरोत्रा का कहना है कि महिला का शरीर हर महीने गर्भ के विकास के लिए तैयार होता है। इसके लिए एक अंडा निकलता है और गर्भाशय की अंदरूनी सतह मोटी व मुलायम हो जाती है एवं ज्यादा रक्त का संचार होता है । गर्भधारण न करने पर अंदरूनी सतह टूटकर  माहवारी के रूप में शरीर से बाहर आ जाती है। यह प्रक्रिया हर माह दोहराई जाती है। वहीं अंतरा इंजेक्शन के बाद हर माह गर्भाशय तैयार नहीं होता है , कोई अंडा नहीं निकलता एवं गर्भाशय की परत भी मोटी नहीं हो पाती। इसकी वजह से कुछ समय माहवारी अनियमित होने के साथ बंद भी हो जाती है। इससे यह पता चलता है कि अंतरा सही ढंग से काम कर रही है तथा यह नुकसानदायक नहीं है और सुरक्षित है। जब महिला पुनः गर्भधारण करना चाहेगी और अंतरा विधि को बंद करेगी तो माहवारी चक्र पुनः शुरू हो जाएगा।

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