सरकार के नियमों की अनदेखी कर पेंशनर्स और मृतक आश्रितों को चक्कर लगवाते हैं कोषागार कार्यालय के अधिकारी कर्मचारी

ट्रेजरी भ्रष्टाचार

सरकार के नियमों की अनदेखी कर पेंशनर्स और मृतक आश्रितों को चक्कर लगवाते हैं कोषागार कार्यालय के अधिकारी कर्मचारी

लखीमपुर खीरी। जिला कोषागार कार्यालय (ट्रेजरी) में व्याप्त भ्रष्टाचार आम जनमानस को नहीं दिखाई देता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि यहां पर भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ते हैं सरकारी रिटायर्ड कर्मचारी और उनके आश्रित इसीलिए यहां की खबरें जल्दी बाहर नहीं आती है।

हम अभी आपको मेडिकल रिम्बर्समेंट के नाम पर हो रहे भ्रष्टाचार से रूबरू करा रहे हैं और हम इसकी तह तक जाने के लिए और अधिक खोजबीन कर रहे हैं। अभी जो प्रकाश में आया है उससे फिर ट्रेजरी के बाबू की कार्यशैली कटघरे में खड़ी होती है। दरअसल यहां पर सुविधा शुल्क लेने का एक तरीका टीडीएस भी है अब आप सोचेंगे किसी से टीडीएस के नाम पर सुविधा शुल्क कैसे लिया जा सकता है, तो हम आपको बता दें जो कर्मचारी या आश्रित टीडीएस के दायरे में नहीं आते हैं उनका टीडीएस वैसे तो कटना ही नहीं चाहिए परंतु ट्रेजरी के चक्कर लगाने के लिए यह बहुत अहम बिंदु साबित होता है। यहां पर अगर आपने अपने मेडिकल रीइंबर्समेंट बिल का 10 प्रतिशत सुविधा शुल्क के नाम पर दे दिया तो आपका बिल बिना किसी कटौती के पास हो जाएगा और अगर आपने यह प्रतिशत नहीं दिया तो बिल वापस विभाग को भेज कर टीडीएस बनवाया जाता है और फिर इसे बिल से काट दिया जाता है।

आखिर यहां क्यों अपनाई जा रही है दोहरी नीति

यह दोहरी नीति क्यों अपनाई जाती है इसके पीछे का कारण साफ है सुविधा शुल्क इसकी प्रामाणिकता करने के लिए सिर्फ एक साल के भीतर के समस्त बिलो की जांच करा ली जाए तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। 

एक लाख से ऊपर के बिलों पर कटता है टीडीएस- ट्रेजरी ऑफीसर

सीनियर ट्रेजरी ऑफिसर आनंद कुमार ने इस मामले पर कहा कि एक लाख से ऊपर के बड़े बिलों पर टीडीएस काटा जाता है जो विभाग से बनकर आता है इस दौरान उन्होंने छोटे बिलों को टीडीएस के दायरे से बाहर कर दिया।


क्या कहते हैं टीडीएस के जानकार

टीडीएस के जानकार एडवोकेट प्रेम शंकर राज ने बताया कि सरकारी या गैर सरकारी कार्यालयों द्वारा नियोक्ता को दिया जाने वाला किसी भी प्रकार का वेतन , मानदेय या धन टीवीएस के दायरे में आता है। ऐसे में छोटे से छोटी और बड़ी सी बड़ी रकम पर टीडीएस काटा जाना अनिवार्य होता है, अगर कहीं पर भी किसी भी तरह के भुगतान में सरकार के इस नियम का पालन नहीं किया जा रहा है तो यह कानूनन अपराध है। उन्होंने यह भी बताया कि सरकार द्वारा पेंशनर्स को टीडीएस के दायरे से बाहर रखा गया है।

कई बिलों में नहीं काटा जाता है टीडीएस किया जाता है पूरा भुगतान!


एक सवाल यह भी उठता है कि टीडीएस के सही मानक क्या है तो हम आपको बता दें कि करीब 1 प्रतिशत टीडीएस काटा जाता है, लेकिन ट्रेजरी में नियम कुछ और चलते हैं यहां पर सुविधा शुल्क देने वालों का बिना टीडीएस कटा बिल सुविधा शुल्क के आधार पर पास हो जाता है और जो लोग सुविधा शुल्क नहीं देते हैं उन पर टीडीएस की आपत्ति लगाई जाती है, अगर पुराने एक या दो वर्षों के बिलों की बारीकी से जांच की जाए तो ऐसे तमाम मिल सामने आएंगे, जिनमें बिना टीडीएस कटे हुए ट्रेजरी द्वारा भुगतान किया गया है। और तमाम ऐसे बिल भी सामने आएंगे जिनमें टीडीएस ना होने के चलते आपत्ति लगाई गई है

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