गुरुवार आया है लीप वर्ष का लीप दिवस
क्या चार से विभाजित होने वाला प्रत्येक वर्ष लीप वर्ष होता है?
देवनन्दन श्रीवास्तव
लखीमपुर-खीरी। गुरुवार की तारीख 29 फरवरी पूरे चार वर्षों के इंतजार के बाद आयी है। इस वर्ष के फरवरी माह का यह अंतिम विशेष दिन एक लीप दिवस है। इसी दिन की वजह से यह वर्ष 2024 एक लीप वर्ष कहलाता है।
एक सामान्य वर्ष के दिनों की कुल संख्या 365 होती है। किंतु लीप वर्ष के फरवरी माह में एक दिन की अतिरिक्त वृद्धि के साथ दिनों की यह संख्या 366 हो जाती है। सामान्यता चार से विभाजित होने वाले किसी वर्ष को लीप-वर्ष जाना जाता है। वर्तमान वर्ष 2024 भी चार से पूर्णतया विभाजित होता है, इसलिए यह वर्तमान वर्ष एक लीप वर्ष है। आगामी वर्ष 2028, 2032, 2036, 2040 आदि भी लीप वर्ष होंगे। किंतु 29 फरवरी वाले सभी लीप वर्षों के लिए चार से विभाजित होना ही आवश्यक नहीं है। शताब्दी वर्ष जैसे 2100, 2200 व 2300 आदि सभी चार से विभाजित होने के बावजूद लीप वर्ष नहीं होंगे। किंतु शताब्दी वर्ष 2400 एक लीप वर्ष होगा। अंतिम दो शून्य वाले वर्ष अर्थात शताब्दी वर्ष यदि 400 से विभाजित हो जाएं, तभी वह वर्ष एक लीप-वर्ष होंगा। ऐसी ज्ञानवर्धक व रोचक जानकारी के साथ लखनऊ पब्लिक स्कूल के गणित अध्यापक अतुल सक्सेना ने बताया कि लीप दिवस की सामान्य कैलेंडर के वर्षों एवं उष्णकटिबंधीय वर्षों के मध्य आने वाली समयावधि के अंतर को समायोजित करने एवं उनमें समन्वय स्थापित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका होती है। पृथ्वी सूर्य का एक पूर्ण चक्कर लगाने में 365 दिन 5 घंटे 48 मिनट 46 सेकंड या लगभग 365.2422 दिनों का समय लगाती है। सामान्य वर्ष से यह समयावधि का अंतर चार वर्षों में एक दिन की औसतन वृद्धि का कारण बनता है। हर चौथे वर्ष का 29 फरवरी वाला यह लीप-दिन उसे संतुलित करता है।
इस प्रकार की गणना से प्रति वर्ष औसतन 0.0078 दिवस की अवधि अधिक जुड़ जाती है। 400 वर्षों में यह लघु अवधि तीन दिनो के समतुल्य होती है। तीन अतिरिक्त बढ़े हुए दिनों के अंतर को समायोजित करने के लिए तीन लगातार शताब्दी वर्षों को लीप वर्ष ना मानकर हर चौथे शताब्दी वर्ष को ही लीप वर्ष माना जाता है।
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