छोटी-छोटी बीमारियों की अंदेखी बन सकती है हृदयाघात का कारण- सीएमओ

छोटी-छोटी बीमारियों की अंदेखी बन सकती है हृदयाघात का कारण- सीएमओ

लखीमपुर-खीरी। विश्व हृदय दिवस के अवसर पर जिला पुरुष चिकित्सालय एमसीएच विंग ओयल में एक गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता सीएमएस डॉ आरके कोली ने की। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि सीएमओ डॉ संतोष गुप्ता मौजूद रहे। इस दौरान लोगों को तम्बाकू छोंड़ने और तम्बाकू से होने वाले नुकसान से बचाव को लेकर शपथ भी दिलाई गई।

सीएमओ डॉ संतोष गुप्ता ने इस दौरान अपने संबोधन में कहा कि वर्तमान समय में जीवन शैली में आए बदलाव और उससे होने वाले शारीरिक बदलावों के कारण हृदय संबन्धी बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। जरुरत है कि अपनी जीवन शैली में छोटे-छोटे बदलाव कर हम इन से बचें। आज लोग इस बात से बेफ्रिक्र है कि वह अपने जीवन में छोटी-छोटी बीमारियों की अंदेखी कर रहे हैं। शुगर और ब्लड प्रेसर जैसी बीमारियां हृदयाधात “दिल का दौरा” पड़ने का प्रमुख कारण बने रहा है। युवाओं में भी दिल के दौरे पड़ने से मृत्यु के मामलों में बाढ़ोत्री हुई है। ऐसे में जागरुकता ही एक ऐसा इलाज है जिससे इन्हें कम किया जा सकता है। सीएमएस डॉ आरके कोली ने बताया कि तम्बाकू, पान, पुड़िया, बीड़, गुटखा व शराब सहित तमाम तम्बाकू उत्पाद शरीर को भारी छति पहुॅचा रहे हैं। सही खान-पान न होने से हृदय संबन्धी बीमारियों के रोगी बढ़ रहे हैं।
 स्वस्थ मन और स्वस्थ तन का जो फलसफा दिया गया है उसे भी लोगों को अपनाना चाहिए। दिल को दौरा पड़ना कोई ऐसी बीमारी नहीं है जिसे शुरुआती दौर में पता नहीं किया जा सकता परन्तु लोग छोटी-छोटी बीमारियों में खास कर शुगर, ब्लडप्रेसर, ओवेसिट “मोटापा” की अंदेखी करते हैं जो बाद में कहीं न कहीं दिल के दौरे का कारण बनती है। डॉ0 एके. द्विवेदी ने बताया कि सुबह-शाम तीन किमी0 की हेल्दी वॉक आपके शरीर में न सिर्फ रोगों से लड़ने की छमता को बढ़ती है बल्कि हृदयाघात होने की संभावनाओं को कम कर देती है। जरुरत है कि अपने व्यस्त जीवन शैली से समय निकाल कर अपने शरीर को भी समय दें। डॉ रोहित पाठक ने बताया कि हृदय संबन्धी बीमारियां नशे के इस्तेमाल से अधिक बढ़ रही हैं। लोगों को समय-समय पर अपनी जांचें भी कराते रहनी चाहिए, जिसमें ईसीजी, एलएफटी, केएफटी आदि जांचें शामिल हैं। छाती के आप-पास या छाती में किसी भी तरह का दर्द होने पर विशेषज्ञ चिकित्सक से सलाह जरुर लें। मनोचिकित्सक डॉ0 अखिलेश शुक्ला ने बताया कि तनाव और डिप्रेशन भी हृदयाघात का कारण बन सकता है। मन का स्वस्थ रहना भी उतना ही जरुरी है जितना आपके हृदय का। जिरियाट्रिक फिजीशियन डॉ0 शिखर बाजपेई ने बताया कि बुजुर्गों में दिल का दौरा पड़ने की संभावनाएं अधिक बढ़ जाती हैं, ऐसे में समय-समय पर उन्हें आवश्यक रुप से अपनी जांच करानी चाहिए। इस दौरान एनसीडी के नोडल एसीएमओ डॉ0 अनिल गुप्ता, बाल रोग विशेषज्ञ डॉ आरपी वर्मा सहित डॉ राकेश गुप्ता, डॉ जैगम, डॉ पुलकित, मैट्रन रजनी मसीह, विमल सिंह, काउंसलर देवनन्दन श्रीवास्तव, पंकज शुक्ला, सुरेंद्र कश्यप, नीरज कुमार, अतुल पांडेय सहित स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी कर्मचारीगण मौजूद रहे।

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